Friday, December 26, 2014

अखबार भी आजकल ... // निदा फ़ाज़ली



कागज़ पर रख कर रोटियाँ, खाऊँ भी तो कैसे . . . .

खून से लथपथ आता है, अखबार भी आजकल .

- निदा फ़ाज़ली


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